माँ दुर्गा की महिमा
माँ दुर्गा की महिमा
हिंदू धर्म में माँ दुर्गा को शक्तिशाली देवी का रूप माना जाता है. माँ दुर्गा की महिमा अपरम्पार है. दुर्गा माँ दुष्ट दानवों का नाश करने वाली माता है. इन्हें जगतमाता, पार्वती, दुर्गम, काली और चंडी जैसे कईं नामों से जाना जाता है. माँ दुर्गा की महिमा और आशीर्वाद से व्यक्ति का जीवन सुखद बन सकता है. ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर माँ दुर्गा की महिमा का प्रभाव पड़ जाए, वह दुनिया का सबसे खुशकिस्मत व्यक्ति बन जाता है. वहीँ अगर माँ को क्रोधित कर दिया जाए तो वह चंडी का रूप धारण करके सर्वनाश कर देती हैं. इस लेख में हम माँ दुर्गा की महिमा, रूप और उनके नवरात्रे के बारे में जानेंगे.
कैसी दिखती है दुर्गा माँ?
माँ दुर्गा की महिमा और उनके क्रोध से तो आज हर कोई वाकिफ ही है. माँ दुर्गा ने दुष्ट दांव महिषासुर का अंत किया था और उसके अहंकार का नाश किया था. इसलिए दुर्गा माँ को बुराई पर अच्छाई की जीत दिलवाने वाली माता कहा जाता है. दुर्गा माँ की पहचान की बात की जाए तो वह शेर या बाघ पर सवार रहने वाली एक भव्य योध्हा हैं. उनके इस अवतार को अभय मुद्रा कहते हैं. पुराणिक ग्रंथों से पता चला है कि माँ दुर्गा के 8 या 10 हाथ हैं जो कि चतुर्भागों अर्थात दस दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. माँ दुर्गा की महिमा इतनी शक्तिशाली है कि वह अपने हर हाथ से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं.
माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान
हमारे भारत देश में माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करने के लिए और उनकी पूजा आराधना करने के लिए नवरात्र का पर्व मनाया जाता है. नवरात्र हर साल चार बदलते मौसमों के साथ आते हैं. जिनमे से दो नवरात्र गुप्त हैं जबकि अन्य दो नवरात्र बहाद धूम-धाम से मनाए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान इन नवरात्रि के 9 दिनों के पूजन के दौरान करता है, उस पर माँ की कृपा सदैव बनी रहती है.
क्यों मनाए जाते हैं नवरात्रे?
हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करने के लिए सबसे पहले भगवान राम ने नवरात्र मनाने की परंपरा की शुरुआत की थी. कहा जाता है कि जब भगवान राम लंका से विजय प्राप्ति के बाद वापिस अयिध्य लौटे थे तो उन्होंने 10 दिन के बाद शारदीय नवरात्रों में माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करने के लिए अर्चना की थी. तब से यह नवरात्र का पर्व सनातन धर्म का मुख्य पर्व बन चुका है. हर साल चित्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के दौरान भक्त दुर्गा माँ के नौं रूपों का पूजन करते हैं और व्रत रखते हैं. व्रत के आखिरी दिन यानि अष्टमी पर कन्या पूजन के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है.चलिए जानते हैं दुर्गा माँ के नौं रूप अर्थात नौं नामों के बारे में:
प्रथम् शैल-पुत्री च, द्वितियं ब्रह्मचारिणि
तृतियं चंद्रघंटेति च चतुर्थ कूषमाण्डा
पंचम् स्कन्दमातेती, षष्टं कात्यानी च
सप्तं कालरात्रेति, अष्टं महागौरी च
नवमं सिद्धिदात्री!!
· शैलपुत्रीअर्थात हिमालय पर्वत की बेटी
· भ्रमाचारिणी अर्थातमाँ दुर्गा का शांति पूर्ण रूप
· चंद्रघंटा यानि माँ का गुस्से वाला रूप
· कुष्मांडा यानि माँ का ख़ुशी भरा स्वरूप
· स्कंदमाता अर्तःत माँ के आशीर्वाद का रूप
· कात्यायनी यानि दुर्गा की बेटी जैसा रूप
· कालरात्रि अर्थात दुर्गा माँ का सबसे भयंकर रूप
· महागौरी यानि पवित्रता का रूप
· सिद्धिदात्री यानि माँ का ज्ञानी रूप
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