लव कुश

लव कुश रामायण


रामयण की कथा हिंदू धर्म में सबसे अधिक प्रचलित हैं. इसमें भगवान राम के जन्म, सीता माँ के साथ विवाह, बनवास काटना और रावण का अंत करने की हर कथा मिलती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम और सीता माँ के दो जुदा पुत्र भी थे? जी हाँ, राम और सीता के दो पुत्र थे जिनमे से एक का नाम लव और दुसरे का नाम कुश था. लव कुश रामायण का हिस्सा नहीं हैं लेकिन इनका सही वर्णन हमें केवल बाल्मीकि रामायण में ही मिलता है. बाल्मीकि जी के बाद लव कुश रामायण कांड को कईं महान ऋषि विद्वानों ने लिखने की सोची. इस लेख में हम आपको लव कुश के जन्म के बारे में सच्ची कथा बताने जा रहे हैं जिसका प्रमाण हमे बाल्मीकि ग्रन्थ से मिलता है.






लव कुश रामायण- सीता माँ का बाल्मीकि आश्रम जाना


दुनिया में रामायण के इलावा भी कईं अन्य ग्रंथ मौजूद हैं जिसमे भगवान राम के बनवास से और उनके जीवन से जुडी कईं कहानियों का ज़िक्र मिलता है लेकिन इसी बीच कुछ कहानियां ऐसी भी हैं जिनका हमे कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता. इन्ही में से लव कुश रामायण कथा भी एक है. बता दें कि रावण की कैद से रिहा होने के बाद जब सीता माँ राम के साथ वापिस राज्य पहुंची तो चरों और उनके गर्भवती होने की सूचना फ़ैल गई जिसके बाद भगवान राम भी बेहद खुश हुए. लेकिन उनकी यह खुशियाँ अधिक समय तक नहीं टिकने वाली थी.

दरअसल उस समय किसी भी स्त्री का पति से दूर किसी गैर मर्द के साथ रात भर बाहर माना माफ़ी के काबिल नहीं समझा जाता था. ऐसे में जब लोगों को सीता माँ के रावण के साथ होने की बात पता चली तो सब सीता माँ पर कईं तरह के सवाल उठाने लग गए. जिसके पश्चात सीता माँ ने भगवान राम के राज्य को छोड़ना ही सही समझा और बाल्मीकि जी के आश्रम आकर रहने लगी.

लव कुश रामायण- लव का जन्म


सीता माँ की गर्भवस्था को देखते हुए बाल्मीकि जी उन्हें अपने आश्रम ले आए. इस समय सीता माँ को भगवान राम की सबसे अधिक आवश्यकता थी लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. इसलिए उन्होंने बाल्मीकि जी के आश्रम रह कर एक साधारण सन्यासिन बनने का फैसला कर लिया. ऐसे ही कईं महीने बीत गए और आखिरकार वो वक़्त आ ही गया जब सीता माँ बच्चे को जन्म देने वाली थी. उनकी कोख से एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम लव रखा गया. सीता माँ इस बच्चे के जन्म से बेहद खुश थी और अपना पूरा दिन उसी की देखभाल में गुजारने लगी.

लव कुश रामायण- कुश का जन्म

एक दी सीता माँ को कुछ सामान लेने के लिए बाजार जाने की आवश्यकता महसूस हुई. ऐसे में उन्होंने बाल्मीकि जी को लव का ध्यान रखने के लिए कहा. लेकिन जब उन्होंने देखा कि बाल्मीकि जी अपने ध्यान में मग्न अहिं तो वह उन्हें बिना बोले ही लव को अपने साथ बाहर ले गईं. जब बाल्मीकि जी ने लव को आश्रम में ढूंडा तो वह उन्हें कही न मिला ज्सिके बाद वह काफी चिंतित हो गए और सोचने लगे कि वह सीता माँ को आखिर क्या जवाब देंगे. उन्होने सोचा की शायद लव को किसी जानवर ने अपना शिकार बना लिया है. ऐसे में बिना वक़्त गंवाए उन्होंने पास पड़ी घास पर कुछ मंत्र फूंके और लव की तरह दिखने वाला ही एक लड़का बना दिया. जब सीता माँ आश्रम लौटी तो दुसरे लव को देख कर आश्चर्यचकित रह गयी. बाल्मीकि जी ने उन्हें उस बालक की पूरी कहानी सुनाई. जिसके बाद सीता माँ ने उस बालक को भी गोद लेने का मन बना लिया और उसका नाम कुश रखा. तब से लेकर आजतक लव कुश रामायण का पूरा वर्णन बाल्मीकि ग्रंथ में दर्ज़ है.

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