चंद्रगुप्त मौर्य

चंद्रगुप्त मौर्य


चंद्रगुप्त मौर्य जब भारतीय ऐतिहासिक महान शासक रहे हैं जिन्होंने अपने शासनकाल के दौरान पहली बार भारत को एक सत्ता के रूप में एकीकृत किया। बता दें कि चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल से पहले दक्षिण एशिया ज़्यादातर करके छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा हुआ था जबकि गंगा के मैदानों पर नन्द वंश का शशन हुआ करता था, उस दौरान चंद्रगुप्त मौर्य में अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप पर लड़ाई की और विजय प्राप्त करने के बाद भारत को एक राजनीतिक एकता प्रदान की और तब जाकर मौर्य साम्राज्य की नींव रखी गई थी।




महान शासक थे चंद्रगुप्त मौर्य

जीवन परिचय
पूरा नाम : चन्द्रगुप्त मौर्य
 जन्म : 340 ईसा पूर्व
 जन्मस्थान : पाटलीपुत्र ( वर्तमान में पटना, बिहार)
 पिता-माता : मुरा, नन्दा
 पत्नी : दुर्धरा
 पुत्र : बिन्दुसार
चक्रवर्ती सम्राट, चंद्रगुप्त मौर्य के गिनती भारत के महानतम शासकों में की जाती है, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रगुप्त मौर्य का जीवन मजबूत शासन का एक बहुत बड़ा उदाहरण माना जाता है। बताया जाता है की इनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र बिंदुसार वंश के अगले सम्राट हुए और बिंदुसार के बाद चंद्रगुप्त मौर्य के पोते सम्राट अशोक भारत की सत्ता पर विराजमान हुए। निश्चित रूप से चंद्रगुप्त मौर्य का जीवन उनके व्यक्तित्व की तरह बहुत ही शक्तिशाली था परंतु उनकी मृत्यु इतनी शांत होगी इस बात की किसी ने भी कल्पना नहीं की थी।

आपको यह भी बता दें की उन्होंने सेलेकस की बेटी से शादी की, और हेलेनिस्टिक राज्यों के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंध बनाये तथा इसके साथ ही साथ चन्द्रगुप्त मौर्य ने पश्चिमी दुनिया के साथ भारत के व्यापार को बढ़ाया गया। अपने शासन काल में उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश उत्तरी हिस्सों के साथ-साथ, दक्षिण पूर्व में विंध्य रेंज और दक्कन के पठार में 300 ईसा पूर्व तक स्वतंत्र भारतीय राज्यों पर विजय प्राप्त की।

चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास

चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में हुआ था जो वर्तमान में भारत के बिहार राज्य में स्थित है और अब पाटलिपुत्र का नाम बदल दिया गया है। अब इस स्थान को पटना के नाम से जाना जाता है जो कि बिहार की राजधानी भी है। बता दें कि चंद्रगुप्त मौर्य बचपन से ही एक बहादुर और समझदार व्यक्तित्व के इंसान थे, ऐसा बताया जाता है कि बचपन द एक खेल की रचना की थी जिसमें वह खुद राजा बनते थे और अपने दोस्तों की समस्या का हल निकालते थे। उसी खेल को खेलते हुए चाणक्य ने पहली बार चंद्रगुप्त को देखा था और उनसे बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए। 

बाद में चंद्रगुप्त मौर्य महान विद्वान ब्राह्मण विद्वान चाणक्य से तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा ली और मार्गदर्शन भी प्राप्त किया और बाद में उनके शिष्य भी बने। चंद्रगुप्त ने चाणक्य की सहायता से एक सेना बनाई और तब जाकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई। इसके बाद चाणक्य उनके मुख्य सलाहकार और प्रधान मंत्री बन गए बता दें कि चंद्रगुप्त मौर्य ने तकरीबन 24 वर्षों तक शासन किया था।

कई जगह पर यह भी उल्लेख मिलता है की बाद में चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म से प्रेरित होकर जैन धर्म को अपनाया और सिंहासन को त्याग दिया जिसके बाद जैन संत भद्रबाहु के अधीनस्त एक संन्यासी बन गए जिसके बाद वह श्रवन बेलगोला दिनों के दौरान उपवास करते हुए मृत्यु को प्राप्त हो गए।

Comments

Popular posts from this blog

लव कुश

साहीवाल गाय